अब तो हुस्न से तराशी मूरत भी अछि नही लागति । मुझे अब किशी की जरूरत भी अछि नही लागति ।। वो इतनी खुबसूरत तो है भी नही । लकीन उससे आगे किशी की सुरत भी तो अछि नही लागति।। क्या करता मै#@#