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आँखों में दर्द लिये, पूछ रहा वह मुझसे था क्या कसूर

आँखों में दर्द लिये, पूछ रहा वह मुझसे था
क्या कसूर यह मेरा था जो बना मैं मजदूर हूँ
दो रोटी के खातिर हर सुबह बिकने को मजबूर हूँ। यकीन मानो आप,
एक शब्द भी न बोल पाया
बस नजर चुराकर कैसे भी
चुपचाप वहाँ से चला आया।। 💔

#azad_ki_baatein

जनाब वह मजबूर है, मजदूर नही
आँखों में दर्द लिये, पूछ रहा वह मुझसे था
क्या कसूर यह मेरा था जो बना मैं मजदूर हूँ
दो रोटी के खातिर हर सुबह बिकने को मजबूर हूँ। यकीन मानो आप,
एक शब्द भी न बोल पाया
बस नजर चुराकर कैसे भी
चुपचाप वहाँ से चला आया।। 💔

#azad_ki_baatein

जनाब वह मजबूर है, मजदूर नही
azad3070605696251

Azad

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