चँदा डूबे ,सुरज डूबे डूबे ईक ईक तारा क्या सचमुच में कोई डूबा या है केवल बहाना क्या सचमुच में सूरज खो जाता,अंधियारी रातो में या धरती ही मुँह मोड़ लेती सूरज की आभा से तुम न डरना सूरज बनना आग ये अपनी जिंदा रखना मुँह मोड़कर तुमसे ये धरती भी पछताएगी जब भी उसको होगी जरूरत फिर से मिलने आएगी | ©राजकुमार टेलर सूरज बनना