ये सर्द सुनहरी सुबह है, और मैं दिल कि चादर में तेरे यादों संग लिपटा हूं. चाहता हूं चल कर, प्रभात वाली सारी रस्में निपटा हूं. पिछली रात का किया कराया, धरा के नाम कर दू और ब्रश,कोलगेट संग बत्तशी छाड़ लू. जिस्म में गंगा डाल, अपनी पाप काट लू. पर आज-कल बाहुबली सा हिम्मत भी जवाब दे जाती है. जब सर्द कपकपी नामक भल्लार देव से भिड़ने को बारी आती है.. #बाहुबली सा हिम्मत...