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जिंदगी उलझी पडी है जिंदगी के पिझरे मै ताना दे जाती

जिंदगी उलझी पडी है जिंदगी के पिझरे मै
ताना दे जाती है ओ रोज सुभह के भौर मे..!!

केसे सभालते होश हम भी इस कम उम्र में ओ 
हमें रोज नए तजुरबे दे रही है..!!

क्या खता थी हमारी जो ए सजा दे रही है
हसने खेलने कि उम्र में आखो में आसु दे रही है ..!

डराती है ए मुझसे मेरे अपनो को मुझसे छिन लेगी
क्यो ए मुझे पत्थर बनाने पर तुली हैं..!!

और समझते है लोग  बदल गए हैं हम
क्यो ना ए मेरे हालाथो का जायजा ले रहै हैं..!!

कहने को क्या हैं यार मुह से बक देते हैं लोग
उन्हे क्या पता हमारी जिंदगी से जग चल रही है..!!

©Nilesh borse #brockenheart #yrquotes 

#selflove
जिंदगी उलझी पडी है जिंदगी के पिझरे मै
ताना दे जाती है ओ रोज सुभह के भौर मे..!!

केसे सभालते होश हम भी इस कम उम्र में ओ 
हमें रोज नए तजुरबे दे रही है..!!

क्या खता थी हमारी जो ए सजा दे रही है
हसने खेलने कि उम्र में आखो में आसु दे रही है ..!

डराती है ए मुझसे मेरे अपनो को मुझसे छिन लेगी
क्यो ए मुझे पत्थर बनाने पर तुली हैं..!!

और समझते है लोग  बदल गए हैं हम
क्यो ना ए मेरे हालाथो का जायजा ले रहै हैं..!!

कहने को क्या हैं यार मुह से बक देते हैं लोग
उन्हे क्या पता हमारी जिंदगी से जग चल रही है..!!

©Nilesh borse #brockenheart #yrquotes 

#selflove