कविता है :- दिनचर्या कवि है :- धूमिल निवासी :- बनारस (बाबा की नगरी) हर हर महादेव 🙏 #stay_home_stay_safe सुबह जब अंधकार कहीं नहीं होगा, हम बुझी हुई बत्तियों को इकट्ठा करेंगे और आपस में बाँट लेंगे. दुपहर जब कहीं बर्फ नहीं होगी