दर्द-ए-दिल, जख्म-ए-इश्क़, वाह! क्या रवानी है,, ये जो तकिया है मेरे सिर के नीचे, जिस पर रात भर आखों से टपका नमकीन पानी है, इन्हे महज आंसू ही मत समझना, इनकी बूंद-बूंद अपने आप में एक कहानी है,,,, #नमकीन_इश्क़