Nojoto: Largest Storytelling Platform

बेटियां कांच की ख़ूबसूरत चूड़ी सी हैं बेटियां

बेटियां
    कांच की ख़ूबसूरत चूड़ी सी हैं बेटियां
    नाज़ुक हैं ज़रा छन्न से टूटती हैं बेटियां।
  
    बाबा रात को जब लौटते घर देर से
   झूठमूठ ही मानती, रूठती हैं बेटियां।
  
    लड़ती हैं वुजूद की लड़ाई जब भी
   कभी  कटती, कभी लुटती हैं बेटियां।
 
   रौनकें हैं यें मां-बाप के आशियाने की 
 खिड़की,कभी आंगन में गूंजती हैं बेटियां।

©Roohi Quadri #राष्ट्रीयबालिकादिवस
#बेटियां
बेटियां
    कांच की ख़ूबसूरत चूड़ी सी हैं बेटियां
    नाज़ुक हैं ज़रा छन्न से टूटती हैं बेटियां।
  
    बाबा रात को जब लौटते घर देर से
   झूठमूठ ही मानती, रूठती हैं बेटियां।
  
    लड़ती हैं वुजूद की लड़ाई जब भी
   कभी  कटती, कभी लुटती हैं बेटियां।
 
   रौनकें हैं यें मां-बाप के आशियाने की 
 खिड़की,कभी आंगन में गूंजती हैं बेटियां।

©Roohi Quadri #राष्ट्रीयबालिकादिवस
#बेटियां
roohiquadri4636

Roohi Quadri

New Creator