महफ़िल में आये थे जो मेहमान पी-पिलाकर चले गए कुछ ने सुनी ग़म-ए-दास्ताँ और मुस्कुराकर चले गए हम दिल को समझाते रहे के शायद उसने देखा ही नहीं दिल तो तब टूटा, जब कि वो हाथ मिलाकर चले गए इस तरह से कभी तो न थे रिश्ते, बीच हमारे उनके होगी कोई बात जो बस मिल-मिलाकर चले गए थोड़ी देर ठहरते तो मेरे मरने का यकीं हो जाता जल्दी में थे शायद, बस ज़हर पिलाकर चले गए अंदाजा तो उन्हें था के कोई तूफान आने वाला है कल आए थे घर मेरे चराग सारे बुझाकर चले गए हमसफ़र बनके मेरे, जो आए थे साथ-साथ वो मेरे अपने ही मुझको जलाकर चले गए । ©Rachit Kulshrestha #Rachitkulshrestha #dilkibaat #moonbeauty