इतने दिन इतनी राते गुज़ारी इंतेजार में वो कभी-न-कभी तो लौटेगी इस ख्याल में हर गुज़रते हुए राहगीर से कह बैठता मैं वो मिले तो कहना बैठा हूँ उसकी दालान में #दालान (बरामदा)