व्याप्त है कण-कण में, खबर पल-पल की रखता है, जीने का अर्थ उसी में, इन्सान सब कुछ समझता है। लाख चोरियाँ या फिर कुकर्म कर के वो बचना चाहे, सौ-सौ तरह के पूजा-पाठ,उपाय भी वो सब करता है। मन्दिर,मस्जिद,चर्च,गुरूद्वारा,धर्म की कहाँ पाबन्दी है, ठेकेदार धर्म के हैं, जा पास जो बनता है सो करता है। खज़ाने यों अन्धनिश्वास पे लुटा, श्रध्दा मूर्ति बन कर, भूखे-नंगे लोगों पर वो क्रोध की बरसात बस करता है। चाहे अन्दर से कितना ही बड़ा गुनाहगार क्यों न हो, बस अपने ही नाम के गुणगान करवाता और करता है। सब चौंचले अपना कर भी वो भाग्य बदल नहीं पाता हैं, कहते हैं ऊपर वाला हिसाब सबके लिख-लिख रखता है। #व्याप्त #श्रध्दा #पाबन्दी #गुणगान #अन्धविश्वास #yqdidi #yqhindi #bestyqhindiquotes