घड़ी तो हमारे पास महँगी से महँगी है मगर समय हमारा नही है तो फिर मज़ा नही आएगा .... मज़ा तब आएगा जब घड़ी के साथ समय भी हमारा ही होगा 🖋आनन्द जांगिड़