अरे ओ बंशी के बजैया, मोहन मुरली वाले; आ जाओ इस पार दरिया, तरस रही हैं तेरे दरस को मेरी अंखियाँ।। टेर।। अरे ओ गिरधर, नटवर नागरिया; आ जाओ बृज की गलियाँ, मिलकर रास रचायें संग सखियाँ।। तरस रही.... अरे ओ यशोदा के लाल , नंदकिशोर; पकड़ लो मेरी बहियाँ, बन जाओ मेरे सैंया ; अब रहा न जाये तुझसे दूर कन्हैया। तरस रही..... अरे ओ काली दह के दहिया, गिरधर गोपाला; पूरी करो मेरी आस, अब न तड़पाओ रे छलिया, चन्द्रसखि की विनती जाये न अलिया। ।तरस रही....i ©Suraj Sharma #Krishna #भजन #विनती #जय_श्रीकृष्णा #सूरजशर्मामास्टरजी