हा मैं गरीब हु। रोटी के कुछ टुकड़ो में ही अपनी जिंदगी गुजार लेना मुनासिब समझता हूं,साहब। कहाँ सपने देखे अमीरो वाले,हमारी जिन्दगी ने तो हमारी मजबूरियों को ही गले लगाना सिख लिया है। -@Harsh #Art #Quotes #Art