इस तरंगिणी का जल प्रवाह, हम दोनों को ही प्यारा था। एक अद्भुत सा आकर्षण था, नदियों से प्रेम हमारा था।। हम दोनों भाई-बहन नदी में, तैरने में पारंगत थे। केवल हम दो ही नहीं अपितु, गाँव के भी अनेकों साथी थे।। बड़ी सुखद सी थी "जिन्दगी", सब मिलकर बहुत नहाते थे। जब बात होती थी नहाने की, नहीं "इन्तजार" कर पाते थे।। एक मूक सा था "इकरार" सभी का, दूर दूर तक बहते थे। अपने ही गाँव के सब बच्चे, हम बड़े प्यार में रहते थे।। पर एक दिन इस जल प्रवाह में ही , बह कर के चला गया भाई। सारे जीवन की प्रीत गयी, बस आस कि आएगा भाई।। नेति। धन्यवाद। ©bhishma pratap singh #जलप्रवाह#हिन्दी कविता#भीष्म प्रताप सिंह#काव्य संकलन#सस्पेंस एन थ्रिलर #FourWords#अक्टूबर Creator