मेरी कलम💜 (अनुशीर्षक में पढ़ें) सोचती हूँ आज के दिन क्या लिखा जाए इश्क़ तो रोज़ ही लिखते हैं आज कुछ अलग किया जाए, जो दुख दर्द, प्यार मोहब्बत सब समेटे बैठी है चलो कुछ लफ्ज़ उसके हिस्से भी कर दिये जाएं, कलम हाथ मे लिए क्यूँ न आज कमाल कर दिया जाए चलो आज कुछ स्याही इस कलम के नाम कर दी जाए,