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बदला गांव में नदिया उफनकर घर बहाकर ले गई हम समंदर

बदला गांव में नदिया उफनकर घर बहाकर ले गई
हम समंदर में उठे तूफान को तकते रहे
आड़ ले मासूमियत की बो दगा देता रहा 
इश्क के बाजार हम राशन सा उसे तकते रहे
आप को तुम तू बनाकर बो उसे पा गया
मूर्ख थे हम अब तलक सम्मान में उलझे रहे 
काले पीले बदतमीज सब लोग रोनक बन गए
ओर हम ताउम्र बस ईमान में अपने उलझे रहे #बदला
बदला गांव में नदिया उफनकर घर बहाकर ले गई
हम समंदर में उठे तूफान को तकते रहे
आड़ ले मासूमियत की बो दगा देता रहा 
इश्क के बाजार हम राशन सा उसे तकते रहे
आप को तुम तू बनाकर बो उसे पा गया
मूर्ख थे हम अब तलक सम्मान में उलझे रहे 
काले पीले बदतमीज सब लोग रोनक बन गए
ओर हम ताउम्र बस ईमान में अपने उलझे रहे #बदला