क्या माँ बाप से दूर रहकर सपनो को पिरोया जाता हैं अपनों को रुलाकर सपनो को संजोया जाता हैं जाने क्या सोचकर, चल दिए छोड़कर। #जानेक्यासोचकर #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi - अमिताभ रंजन झा 'प्रवासी' प्रवासीसंग्रह टैग पर कविता, ग़ज़ल, लघुकथा, हास्य, व्यंग इत्यादि रचनाएं उपलब्ध हैं।