कहीं से तो फरोजां हुआ होगा तेरे मेरे ख्वाबों का कारवां, के आज पीछे मुड़कर देखें तो बड़ी दूर चले आए, बदस्तूर मोहब्बत ही रही है मुसालसल हमारी, जो शफाक के मुकम्मल होने पर शम्स का नूर ले आए। kyonki pyar hai!