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White मेरे अल्फ़ाज़ खिलाते रहे,पुष्प किसी के दिल मे

White  मेरे अल्फ़ाज़ खिलाते रहे,पुष्प किसी के दिल में..!
और किसी को काँटों की,तरह ये चुभते रहे..!

हर पहर द्वेष और घृणा लिए,मन में वो मेरे लिए..!
एहसासों की जमीं पे ख़्वाब,सूरज की भाँति उगते रहे..!

अपना समझा हमने,जिस किसी को अपना वो..!
समय समय पर आस्तीन के,साँप बन डसते रहे..!

मेरे बुरे वक़्त और,परिस्थितियों पे ज़माने में..!
बेशर्मों की तरह,खिलखिला के हँसते रहे..!

ये भूल गए किया क्या,उनके लिए मैंने..!
पीठ पीछे उन सभी ने,ख़लनायक के नक़ाब पहने..!

बदलते दौर की तरह,बदले सभी यूँ फिर भी..!
उन्हीं की जरूरतों के लिए,ख़ुद को हम घिसते रहे..!

जीने की चाह में,मर जाने तक जानी..!
कोल्हू के बैल की तरह,ज़िम्मेदारियों में पिसते रहे..!

©SHIVA KANT(Shayar) #Sad_Status #Mere_alfaaz
White  मेरे अल्फ़ाज़ खिलाते रहे,पुष्प किसी के दिल में..!
और किसी को काँटों की,तरह ये चुभते रहे..!

हर पहर द्वेष और घृणा लिए,मन में वो मेरे लिए..!
एहसासों की जमीं पे ख़्वाब,सूरज की भाँति उगते रहे..!

अपना समझा हमने,जिस किसी को अपना वो..!
समय समय पर आस्तीन के,साँप बन डसते रहे..!

मेरे बुरे वक़्त और,परिस्थितियों पे ज़माने में..!
बेशर्मों की तरह,खिलखिला के हँसते रहे..!

ये भूल गए किया क्या,उनके लिए मैंने..!
पीठ पीछे उन सभी ने,ख़लनायक के नक़ाब पहने..!

बदलते दौर की तरह,बदले सभी यूँ फिर भी..!
उन्हीं की जरूरतों के लिए,ख़ुद को हम घिसते रहे..!

जीने की चाह में,मर जाने तक जानी..!
कोल्हू के बैल की तरह,ज़िम्मेदारियों में पिसते रहे..!

©SHIVA KANT(Shayar) #Sad_Status #Mere_alfaaz