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जब घोर अंधियारे से निकलकर दिन के उजाले में .......

जब घोर अंधियारे से निकलकर
दिन के उजाले में .......
मैं निकला राही पथ की खोज में,
सौ-बार हार कर थककर मैं
भटकता रहा दिन के उजाले में। .....
मैं था पथ की तलाश में,
गुमशुदा हुआ दिन के उजाले में। .....
उभरना चाहता था मैं
निखरना चाहता था मैं, दिन के उजाले में। .....
राहों में मिले पथिक भरमार
जैसे लगे डूबे हुए हार,
मैं लिखता था मिटाता था, दिन के उजाले में। .....
जिंदगी की उलझनो में, मैं फसता रहा.
फिर भी नित काम करता रहा, दिन के उजाले में। .....

©Manpreet Gurjar
  #man_Gurjar♥️♥️

man_Gurjar♥️♥️ #Motivational

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