अफवाहों की आंधी बहती है बहती रहे... कानो मे झूठी फुसफुसाहटें कहती रहे.... राष्ट्रनिर्माता, धरा की धूरि तुम हो... कलम तुम्हारी सत्य शाश्वत कहती रहे.... एक कवि के लिए...