ये शहर बड़ा जालिम है यहाँ दबी कई ख्वाहिशें हैं कोई क्या से क्या बन जाता है कोई जैसा हो वहीं रह जाता है कोई संग सपनों का घर लाता है कोई खुद को यहाँ सोप जाता है नयी- नयी उम्मीदें साथ लाता है कोई क्या से क्या बन जाता है छोड़कर घर कोई आश लिए आता है आजीविका के लिए गाँव छोड़ आता है वो गली- मोहल्लों की यादें ले आता है कोई क्या से क्या बन जाता हैं माँ- बाप को एक आश बंधाए आता है में आता हूँ कुछ पैसे कमाए लाता हूँ यहीं कहकर वो अपना घर छोड़ आता है कोई क्या से क्या बन जाता है ©Kanhaiya Sharma शहर बड़ा जालिम है #kanahiaysharma #Poetry #Poet #shahar #Ganw #writer #City