सेना पर हमले दर हमले,कब नींद खुले सरकारों की, ये सवा अरब का भारत है,या धरती है लाचारों की, दुश्मन के क्रूर प्रहारों पर,केवल निंदा हो जाती है, सैनिक को मिली शहादत भी तब शर्मिंदा हो जाती है, उस वक्त स्वयं माथे पर हम लानत का तिलक लगाते हैं, जब चंद फिदाइन मिलकर के अपने जवान खा जाते हैं, हल्दीघाटी की माटी में,वीरों की कथा लजाती है, वो इकहत्तर की युद्ध विजय भी चेहरा कहीं छुपाती है, करगिल की शौर्य पताका के चारों कोने जल जाते हैं, सरहद पर साहस के सूरज,कायर होकर ढल जाते है, उन थके हुए जज़्बातों को बेदर्द नहीं तो क्या बोलूँ? मैं दिल्ली की सरकारों को नामर्द नही तो क्या बोलूँ? वो सैनिक जिसकी जान गयी,आखिर क्या सोच रहा होगा, मरने के पहले दिल्ली से आखिर क्या दर्द कहा होगा, वो शायद यह बोला होगा,क्यों जान हमारी खोती है, क्या ऐसे ही मर जाने को सेना में भर्ती होती है, दिल्ली वाले एटम बम की धमकी से बस डर जाते हैं, हम फौजी कितने बदनसीब,जो बिना लड़े मर जाते हैं, मत मौत हमें ऐसी बांटो,मत वर्दी को बदरंग करो, गर मौत हमें देनी हो तो,दुश्मन से खुल कर जंग करो, मोदी जी,हमको लगता था,तुम सेनाओं के सम्बल हो, उन पाकिस्तानी चूहों के सीने में मचती हलचल हो, हम सोचे थे कुछ सालों में तुम अपनी धमक दिखा दोगे, उस पाकिस्तान दरिंदे को आखिर तुम सबक सिखा दोगे, लेकिन लगता है दिव्य दृष्टि,कुर्सी को पाकर मंद हुयी, फौजों पर हमले रुके नही,ना पत्थरबाजी बंद हुयी, अब सेनाओं की भी सुन लो,ना तिल तिल हमको मरने दो, एटम के बम से डरो नही,सीमा के पार उतरने दो, यह गैस-तेल,डाटा-वाटा, जन धन,के मुद्दे परे धरो, अब समय जंग निर्णायक का,ले शंख युद्ध उदघोष करो, हम फिर से अपनी जानें दो,वो दिन ना हमें दिखाओ जी, जो होगा देखा जाएगा दुश्मन की जड़ें हिलाओ जी, यह कवि गौरव चौहान कहे मंज़िल से पहले रूको नही, अमरीका चीन चटोरों की सत्ता के आगे झुको नही, जिस दिन आतंक समूचे को,दोज़ख की सैर करा दोगे, यूँ समझो उस दिन माताओं की सूनी गोद भरा दोगे, जब मौत मिलेगी दुश्मन को,सच में सुभाग मिल जाएगा, मानो शहीद की बेवा को फिर से सुहाग मिल जाएगा, 🙏🙏🙏 #NojotoQuote