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तुम यूँ न चुप रहा करो!! बैचेनी सी बढ़ती है!! तेरे

तुम यूँ न चुप
रहा करो!!
बैचेनी सी 
बढ़ती है!!
तेरे बोलने 
से ही तो!!
हर सुबह
गुलशन में
कलियाँ खिलती हैं!!!

©Deepak Bisht #अर्पित-ए-गुलशन
तुम यूँ न चुप
रहा करो!!
बैचेनी सी 
बढ़ती है!!
तेरे बोलने 
से ही तो!!
हर सुबह
गुलशन में
कलियाँ खिलती हैं!!!

©Deepak Bisht #अर्पित-ए-गुलशन