सुन्दर सुर सजाने को साथ बनाता हूँ, ना-सीखिए परिंदे को बाज बनाता हूँ।। चुपचाप सुनता हूँ शिकायतें सबकी, तब दुनिया बदलने की आवाज बनाता हूँ।। समंदर तो परखता है हौंसले कश्तियों के, और मैं डूबती कश्तियों को जहाज बनाता हूँ।। बनाए चाहे चाँद पर कोई बुर्ज-ए-ख़लीफा, अरे मैं तो कच्ची ईंटों से ही ताज बनाता हूँ।। 💞Shayar RK...✍🏻 ©SHAYAR (RK) ताज बनाता हूं