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कई रोज से देश मेरा कोहरे की है , चादर में लिपटा, द

कई रोज से देश मेरा कोहरे की है ,
चादर में लिपटा,
देखा है हम सभी ने कैसे 👉ठंड ने,
 धूप का है अपहरण किया,
 पर... मारे डर के सभी हैं बैठे देखो,
 कैसे मौन,
आग का है अलाव जलाए,
कोहरा थानेदार बना मुस्तैद खड़ा है,
अब रपट लिखाए कौन??
पर...इतना भी अब ना तू इतरा,
ए....कोहरे खुद पर ,
हिम्मत है अगर जरा भी तुझमें ,
तो....जून माह में आकर देख,,

©kamlesh pratap singh #Winter
कई रोज से देश मेरा कोहरे की है ,
चादर में लिपटा,
देखा है हम सभी ने कैसे 👉ठंड ने,
 धूप का है अपहरण किया,
 पर... मारे डर के सभी हैं बैठे देखो,
 कैसे मौन,
आग का है अलाव जलाए,
कोहरा थानेदार बना मुस्तैद खड़ा है,
अब रपट लिखाए कौन??
पर...इतना भी अब ना तू इतरा,
ए....कोहरे खुद पर ,
हिम्मत है अगर जरा भी तुझमें ,
तो....जून माह में आकर देख,,

©kamlesh pratap singh #Winter