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________ नादानी में कर बैठी परदेसी की कश्ती में छे

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नादानी में कर बैठी परदेसी की कश्ती में छेद
दूर देश जाना था उसको, डुबोया उसे मुझे है खेद,
आत्मग्लानि के बोझ संग नाव भला कैसे खेवाऊँ.?
पर–पीड़ देकर, अब कैसे स्वयं को पार लगाऊं.?
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©अबोध_मन//फरीदा
  #अबोध_मन  #kashti 
#jane_anjane #nadani #प्रेम_पीड़ा
#आत्मग्लानि #गलती_गुनाह

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नादानी में कर बैठी परदेसी की कश्ती में छेद
दूर देश जाना था उसको, डुबोया उसे मुझे है खेद,
आत्मग्लानि के बोझ संग नाव भला कैसे खेवाऊँ.?

#अबोध_मन #kashti #jane_anjane #Nadani #प्रेम_पीड़ा #आत्मग्लानि #गलती_गुनाह ________ नादानी में कर बैठी परदेसी की कश्ती में छेद दूर देश जाना था उसको, डुबोया उसे मुझे है खेद, आत्मग्लानि के बोझ संग नाव भला कैसे खेवाऊँ.? #Poetry

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