अब तेरी खुशबू से महकता नहीं मेरा बगीचा, जहाँ हर फूल तुझसे रंज किया करता था, भंवरे भी हर फूल को छोड़ तेरे पीछे चले आते थे,तू कली थी जब इतना महकती थी, आज फूल हो गयी तो खुशबू ही नहीं आती, किसी के डर से छुपा ली है खुशबू,या किसी भंवरे ने तेरी खुशबू चुरा ली सारी। #अंकित सारस्वत# #बागीचा