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जब सबकुछ ख़त्म हो जाएगा, जब तुमसे बहुत दूर जा चुका

जब सबकुछ ख़त्म हो जाएगा,
जब तुमसे बहुत दूर जा चुका हूंगा मैं,
जब खुद को अकेला पाओगी तुम,
तब देखना आंख उठा कर तुम,
अनन्त के अंतिम छोर पर, धूल भरी राहों में,
अमिट सन्नाटे से लड़ता हुआ, हारा थका हुआ,
जीवन के अंतिम अवसान में, बोझिल पलकों से,
देख रहा हूंगा, तुम्हारे इस तरह मेरी ओर देखने भर को...

                               —अरुणेंद्र प्रकाश गौतम "अजय"
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©अरुणेन्द्र #writer #अनन्त_प्रेम
जब सबकुछ ख़त्म हो जाएगा,
जब तुमसे बहुत दूर जा चुका हूंगा मैं,
जब खुद को अकेला पाओगी तुम,
तब देखना आंख उठा कर तुम,
अनन्त के अंतिम छोर पर, धूल भरी राहों में,
अमिट सन्नाटे से लड़ता हुआ, हारा थका हुआ,
जीवन के अंतिम अवसान में, बोझिल पलकों से,
देख रहा हूंगा, तुम्हारे इस तरह मेरी ओर देखने भर को...

                               —अरुणेंद्र प्रकाश गौतम "अजय"
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©अरुणेन्द्र #writer #अनन्त_प्रेम