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लिखना भी चाहूँ तुझे ख़त तो बता कैसे लिखूं ज्ञात मुझ

लिखना भी चाहूँ तुझे ख़त तो बता कैसे लिखूं
ज्ञात मुझको तेरा ठौर और ठिकाना नही 
दिखना चाहूँ भी तुझे तो बताओ कैसे दिखूँ
तेरे पास आने को मुझपे कोई बहाना भी नहीं !

जाने किस फूल की मुस्कान हँसी है तेरी
जाने किस चाँद के टुकड़े का दर्पण है तेरा
जाने किस रात की शबनम के आँसू हैं तेरे
जाने किस शोख़ गुलाब की चितवन है तेरी !

कैसी खिड़की है किस रंग के पर्दे हैं
जहां बैठ तुम सुख स्वप्न बुना करती हो
और वह बग़ीचा है कैसा तुम जिससे
अपने जूड़े के लिए फूल चुना करती हो !

तेरे मुख पर है किसी के प्यार का घूंघट कोई
या मेरी तरह ही हो जिसपे कोई छांव ही नही
किस कान्हा को याद करता है तेरा गोकुल
या कि मेरी तरह तेरा भी कोई गांव ही नही ! 🤗🏵🌺🌹🔯☕🕉💠💠😃🔯🤗🏵🌺🌹🤗🔯☕🕉🕉☕🔯
तू जो हंसती है तो कैसे कली चटकती है
तू जो गाती है तो कैसे हवाएं थम जाती है
तू जो रोती है तो कैसे उदास होता है नभ
तू जो चलती है तो कैसे बहार थर्राती है !

कुछ भी मालूम नहीं है मुझे कि कौन हो तुम
तेरे बारे में हरेक तरह से अंजान हूं मैं
लिखना भी चाहूँ तुझे ख़त तो बता कैसे लिखूं
ज्ञात मुझको तेरा ठौर और ठिकाना नही 
दिखना चाहूँ भी तुझे तो बताओ कैसे दिखूँ
तेरे पास आने को मुझपे कोई बहाना भी नहीं !

जाने किस फूल की मुस्कान हँसी है तेरी
जाने किस चाँद के टुकड़े का दर्पण है तेरा
जाने किस रात की शबनम के आँसू हैं तेरे
जाने किस शोख़ गुलाब की चितवन है तेरी !

कैसी खिड़की है किस रंग के पर्दे हैं
जहां बैठ तुम सुख स्वप्न बुना करती हो
और वह बग़ीचा है कैसा तुम जिससे
अपने जूड़े के लिए फूल चुना करती हो !

तेरे मुख पर है किसी के प्यार का घूंघट कोई
या मेरी तरह ही हो जिसपे कोई छांव ही नही
किस कान्हा को याद करता है तेरा गोकुल
या कि मेरी तरह तेरा भी कोई गांव ही नही ! 🤗🏵🌺🌹🔯☕🕉💠💠😃🔯🤗🏵🌺🌹🤗🔯☕🕉🕉☕🔯
तू जो हंसती है तो कैसे कली चटकती है
तू जो गाती है तो कैसे हवाएं थम जाती है
तू जो रोती है तो कैसे उदास होता है नभ
तू जो चलती है तो कैसे बहार थर्राती है !

कुछ भी मालूम नहीं है मुझे कि कौन हो तुम
तेरे बारे में हरेक तरह से अंजान हूं मैं