हम तो तेरे ही बस तेरे हैं दीवाने मोहन, छोड़ तुझको अब हम और क्या जाने मोहन। तुझे देखे बिना ये दिल सुकूँ पाता नही है, ढूंढ़ते हैं तुझसे मिलने के बहाने मोहन। फिर कोई और ना उसको दिखाई देता है, जो आँखों में तुझे इक बार बसा ले मोहन। संवर जाएगा ओ सावरियाँ मुक़द्दर मेरा, जो तू एक बार गले से मुझको लगा ले मोहन। कि मैं मूरख कहाँ सुख-दुख का भरम पालूंगा, कर रहा हूँ ख़ुद को तेरे मैं हवाले मोहन। या तू ख़ुद आकर मेरे कष्टों का निवारण कर दे, या फिर मुझको ही अपने पास बुला ले मोहन। भटकता हूँ मैं तो दर-ब-दर इस दुनियाँ में, तुम्हीं लगाओ इस कश्ती को किनारे मोहन। तुम्हें पाया तो मानो जहाँ-भर की ख़ुशियाँ पाई, घर से तो निकले थे हम रुपये कमाने मोहन। ©Ayush Kumar || दीवाने तेरे मोहन || #Blankvoicebanaras