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तमन्नाओं के शहर में,एक प्यास बाकी है। मेरी हस्ती ह

तमन्नाओं के शहर में,एक प्यास बाकी है।
मेरी हस्ती है जिससे जिंदा, उसकी आस बाकी है।।

©Shubham Bhardwaj
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