अक्सर महसूस होता है, बंद आँखों से उनका किरदार, आँखे खुलते ही पल भर में, ओझल हो जाती है उसकी छवि। मेरे ख़्वाब को मैंने हकीक़त बनाना बहुत ही चाहा, लेकिन आख़िर में तो वह ख़्वाब ही रह गया, एक ख़्वाब की तरह आई थी वह, और बेशुमार यादें बनकर चली गई। अक्सर महसूस करता हूंँ उसे, मेरे घर के हर एक चीज में, उसके दिए गए तोहफ़े को छूता हूंँ तो, खो जाता हूंँ हमेंशा बीते लम्हों में। अक्सर महसूस होता है, एक अकेलेपन सा उसके जाने के बाद, खलती है आज भी तेरी कमी, सब कुछ पास होने के बावज़ूद भी, यादे भी कितनी है उसकी मेरे ज़हन में, अगर भूलना भी चाहूंँ तो सारी उम्र गुजर जाएगी मेरी। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-917 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।