किसी ने आग का दरिया किसी ने तबाही का रास्ता जाना इश्क़ हो गया जिसे उसने जिंदगी का फलसफ़ा जाना आसान है दुनिया की सुनी-सुनाई बातो पे अमल करते जाना लुफ्त तो है धूप मल बारिश ओढ़ फकीरी मिज़ाज़ पा लेना न होगा हमसे 'राकेश' किसी भीड़ का हिस्सा हो जाना चार दिन की चाँदनी कुबूल हमें न होगा सितारे से आँख सेकते जाना ले आए हो हमें जिस फ़िराक में ये मेने तेरा मकसद जाना मैं वो बागी दरिया हूँ जिसका मकसद है समंदर हो जाना 🍁राकेश तिवारी 🍁 Hello Resties! ❤️ Collab on this #rzpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 Highlight and share this beautiful post so no one misses it!😍 Don't forget to check out our pinned post🥳