वक्त का ये परिन्दा भी सच बड़ा शातिर है, उड़ जाता है रुकता न किसी के खातिर है, समझो इस अनमोल समय की कीमत प्यारे, समय पर करो सब काम,उड़ जाए न पखवारे, वक्त एक ऐसा दीपक है, जो राह दिखाता है, जो सोये रहे वक्त पर ही,वो सब खो जाता है, उठ तुझे ही मरुधरा को हर अब करना है, रह गया जो अधूरा आज काम पूरा करना है, अनन्त प्रयासों से चींटी भी पर्वत चढ़ गई, आज वो भी साहस की कहानी लिख गई। 🎀 प्रतियोगिता संख्या- 23 🎀 शीर्षक:- "" वक़्त का ये परिंदा "" 🎀 शब्द सीमा नहीं है। 🎀 इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।