।। ख़ौफ़-ए-कोरोना ।। ख़ौफ़ हैं कोरोना का दुनियाँ में जिस तरह काश ख़ौफ़ होता ख़ुदा की,तो बात क्या होता ख़ौफ़_ए_ख़ुदा में दुनियाँ हैं जन्नत सी दिन उजालों की औ रात चराग़ों की ज़मीं पर चाँद तारें औ ख़ुदा की महफ़िलें होतीं पाने की ख़ातिर फ़िर ख़ुदा को मस्ज़िद ना शिवाले होतीं एक दिन की हम्द नाद नहीं ख़ुदा को हैं मंजूर बरबादियों में पुकारना इंसान का दस्तूर इसलिए ख़ुदा इंसान से रहता हैं दूर दूर खामियों का ख़ुद शिकार हैं इंसान भी मज़बूर ।। ©बिमल तिवारी "आत्मबोध" khauf-E-Corona