सौंप दिया तन-मन मैंने अपना जिसको, जिम्मा जिसका मेरी अब रखवाली थी!! अदा लूटने की फिर उसकी मुझको, कहाँ-कभी-कम ... निराली थी!! कहना था बस कह दिया ~~~ निशान्त ~~~ जिम्मा