बेशक बहुत कुछ मयस्सर था उसे वहां उस हयात मे मगर न जाने क्यूँ वो फिर भी हर पहर और ज्यादा की ख्वाहिश करता था अपनी वो तमाम हसरतें जिनका हर पहर ख्याल करता था वो खुली नजरों से ,उस हर एक हसरत को मुकम्मल कर पाने के वास्ते हर शब पलंग पर यूँही गुजारकर वो अपनी ही नींद मे हर रोज गुंजाइश करता था। वहां उस पलंग हर अगली शब उसके खातिर एक अलग दुनिया की इब्तेदा हुआ करती थी उसकी रूह खुद की झूठी तसल्ली के वास्ते ही सही मगर.मानो जैसे शब के दरवाजे पर बैठकर इंतजार करती थी वाकिफ था वो बेहतर तरीक़े से कायनात के.लहजे से जो अपनी शर्तों के मुताबिक हर शख्स को शय और मात अता करती है फिर भी उसकी नादानी कहो या नासमझी जो हर शब उसे उन शर्तों से भी शर्त लगाने को उकसाया करती थी। मगर देखो जरा आज वहां का नजारा कुछ और ही मालूम पड़ता है मुझको वो शख्स कि जिसने हसरतों की एक चाहरदीवारी बना रखी थी हर सम्त मे अपने उस हर हसरत के नाम की वो टूटी हुई ईट की टुकड़ी खुद ही चुभती है उसको जिन हसरतों की बिना पर खुद के वास्ते एक मुकद्दस आशियाँ बना पाने की चाह मे रहता था हर पहर वो आज उस हर हसरत के नामुकम्मल होने की नासाज दास्तां पूछने वाले हर शख्स को सुनानी पड़ती है उसको।। #NojotoQuote