ये दुपट्टा, ये रुमाल, ये इत्र की शीशी रोज़ इन्हे देखकर मुस्कुराते हो तबीयत नासाज़ मालूम होती है तुम नहीं समझोगे मिया ये आशिको की बात है मेहबूब की हर चीज महबूब होती है ~ प्रणव पाराशर मेहबूब की हर चीज महबूब होती है.....