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bench हल्ला बोल चमड़ी रगड़ करता है दमड़ी रंग भरत

bench हल्ला बोल

चमड़ी रगड़ करता है 
दमड़ी रंग भरता है 
भाव महंग करता है,
अपनी मन मानी करता है
अफ़सर उसकी चाकरी करता है
बाकी सब घुन की तरह पिसता है,
तेरे साथ को जो वो आतुर था
हाथ जोड़, शीश नवा वो खड़ा था
वादों का पिटारा लिए वो बैठा था,
आशीन अब हुआ जो गद्दी पर
मर रहा आम दे दे कर कर
बिगड़ा बजट हर घर,
मूंद लिए उसने अब निज आंखे
नहीं सुनाई देती उसको अब आंहे
ख़ास संग होती अब उसकी बातें,
कब तल्क़ तुम ये बैठे रहोगे
मायूसी की चादर तले बैठोगे
भाग्य को अपने तुम कोसोगे,
अब तो मानुस तू हल्ला बोल
बुद्धि को तुम अब खोल
जुठी वादों की खोल तू पोल,
स्वागत उनका अबकी हम करेंगे
वादों का नही कर्म का हिसाब करेंगे
झूठे ख़्वाब नही हक़ीक़त कहेंगे.

©Avinash Jha
  #हल्ला बोल