मैं कुछ ऊँचे और वो नीचे पायदान पर हैं, ये फर्क कुछ ओर नहीं बस जाति के नाम का हैं ! मैं कुछ ऊँचे और वो नीचे पायदान पर हैं, ये फर्क कुछ ओर नहीं बस जाति के नाम का हैं, यूँ तो फर्क नहीं पड़ता मुझको इस ऊँचे या नीचे पायदान से, पर न जाने फिर क्यों डरता हैं मन समाज के फ़रमान से, दिखावे के लिए हर जाति इस समाज को भांति हैं, सब एक है इस बात का ढोंग सब को दिखाते हैं,