वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें! पर-सेवा पर-उपकार में हम, जग-जीवन सफल बना जावें! हम दीन-हीन निबलों-विकलों के सेवक बन संताप हरें! जो हैं अटके, भूले-भटके, उनको तारें खुद तर जावें! छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ, अन्याय से निशिदिन दूर रहें! जीवन हो शुद्ध सरल अपना, शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें! निज आन-बान, मर्यादा का प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे! जिस देश-जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जावें! मुरारीलाल शर्मा 'बालबंधु . ©Shrishti Dwivedi respect santhan dharma #hindu #proudhindu