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महज़ चंद दिनों की ये जिंदगानी हैं, और ये भी मुझे ह

महज़ चंद दिनों की ये जिंदगानी हैं,
और ये भी मुझे हादसे में गवानी हैं।
तुम्हारे घर आने वाले अखबार में,
अपनी मौत की ख़बर पहले पन्ने में छपवानी हैं।

©Ayushi Vishwakarma
  dard छिपाने से नहीं छिपता। कवयित्री पूजा राणा shivofficiall95 Anshu writer Mamta kumari Dipanjali Das