अपनी तकलीफों या मरने से डरता नहीं मैं, फिर क्यों ये मशक्कत खुद को बचाने में, पस से संक्रमित शरीर, दवाओं का असर नहीं, हार फिर भी मानी नही, क्योंकि, मौका मुझे अभी तक मिला नहीं, इस कोरोना के दिय जख्मों से प्रभावित, हर व्यक्ति तक मेरा संगीत अभी पहुंचा नहीं, मां सरस्वती का आशीर्वाद व्यर्थ न रह जाए, धरती पर मकसद पूरा हुआ नहीं अभी, ये जंग है लंबी, हे ईश्वर मेरी सुन तो सही, बिस्तर पर पढ़े रहना मुझे मंजूर नहीं, न ही किसी के दुख को कम पाऊं, चाहे थोड़ा ही सही, क्यों रखा मुझे उपजाऊ, जब मेरी फैसले किसी के काम न आ सकीं, मेरे जीने की वजह को मुझसे न छीन, इस कमरे में बंद मुझे तड़पा नहीं, या तो दे मुझे मुक्ति या वो शक्ति, कि इंसानियत के काम आ सकूं, कुछ पल तेरे नाम कर पाऊं, इकलौती प्रार्थना मेरी, किसी का दुख मुझसे बर्दाश्त होता नहीं, दे नई जिंदगी मुझे या बुला ले अपने पास, इस समय में न लपेट मुझे संगीन लाचारी, इंसानियत को जिंदा रखना, जिम्मेदारी मेरी, इन कलाओं का फायदा क्या, जो जरूरत पढ़ने पर किसी, के चेहरे पर मुस्कान न ला सकी, नहीं चाहिए एसी जिंदगी, जो किसी के काम न सकी ©Akhil Kael #riseofphoenix #stormofphoenix #इंसानीयत #दुआ #प्रार्थना #कोविद19 #corona #COVIDVaccine