था बैठा सूर्य की आस में मुसाफ़िर, कि, पड़ी नजर एक बूंद पर, देख हरी घास पर, उस चमकती ओस को, झूम उठा मन ही मन, दौड़ा चूमने उस ओस को सब भूल कर, फिर जरा ठिठक गया, व्याकुल हुआ सोच कर, कि कैसा भंवर है, किसको चुनूं? जो चुनी "धूप" तो "ओस" होगी लुप्त भाप बन, और चुनी "ओस" तो "धूप" से रह जाएगा वंचित।। ©Monika pandey #Nojoto #Life #Ambitions #Dreams #dewdrops