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तलब जिंदगी की,, ये जिंदगी हमें न जानें कितने सपन

तलब जिंदगी की,,

ये जिंदगी हमें न जानें कितने 
सपनों , चेहरों, रास्तों से मिलाती है
पर एक दिन वो भी मोड़ ला खड़ा करती है
जहां से न किसी सपनों की
न किसी चेहरों की तलब रह जाती है
रह जाती है तलब तो बस सफ़र की 
जिसे अंतिम क्षण तक जीने की हसरत रहती है 
पर अफ़सोस वो हसरत भी अधूरी रह जाती है !!

©Vivek
  #अधूरी ज़िंदगी #अधूरा सफ़र #अधूरी dasta
vivek8029184361369

Vivek

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