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फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था सामने बैठा

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था 

सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था ,
याद कर के और भी तकलीफ़ होती थी 'अदीम' 

भूल जाने के सिवा अब कोई भी चारा न था 

मस्लहत ने अजनबी हम को बनाया था 'अदीम' 

वर्ना कब इक दूसरे को हम ने पहचाना  था ,,

©Veeru Rajput
  kabhi socha na tha
veerurajput6700

Veeru Rajput

Bronze Star
New Creator

kabhi socha na tha #ज़िन्दगी

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