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देह धूर गौरा ने बुनाईं जग-जननी निज हाँथन सजाईं नख

देह धूर  गौरा ने बुनाईं
जग-जननी निज हाँथन सजाईं
नखसिख सुन्दर रूप बनाईं
बाल रूप पे ममता लुटाईं
प्रेम करें सुत जैंसा
दीखो ना बाल कहूँ ऐंसा
सखी सोहर तो गाओ
गौरी के प्रकटे गणेशा
सखी सोहर 
तो गाओ...अर्चना'अनुपमक्रान्ति'

©Archana pandey गौरी के प्रकटे गणेशा-दादरा भजन
देह धूर  गौरा ने बुनाईं
जग-जननी निज हाँथन सजाईं
नखसिख सुन्दर रूप बनाईं
बाल रूप पे ममता लुटाईं
प्रेम करें सुत जैंसा
दीखो ना बाल कहूँ ऐंसा
सखी सोहर तो गाओ
गौरी के प्रकटे गणेशा
सखी सोहर 
तो गाओ...अर्चना'अनुपमक्रान्ति'

©Archana pandey गौरी के प्रकटे गणेशा-दादरा भजन