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हरियाली और बहारों में सावन की मस्त फुआरो में कुछ

हरियाली और बहारों में
सावन की मस्त फुआरो में

कुछ गड्ढों की परेशानी में
कुछ बादल की मनमानी में

तबीयत थोड़ी नरम नरम है
मौसम ठंडा तो बदन गर्म है

हम घर में बैठे थोड़ी थे
 चाय थे और पकोड़े थे

खुशी भी तो गम थे थोड़े
कुछ मक्खी थी कुछ मोकोडे थे

दुख में सुख की परछाई थी
कुछ ऐसी गुजरी जुलाई थी

©ashish gupta
  #quotation 

हरियाली और बहारों में
सावन की मस्त फुआरो में

कुछ गड्ढों की परेशानी में
कुछ बादल की मनमानी में
ashishgupta9317

ashish gupta

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#quotation हरियाली और बहारों में सावन की मस्त फुआरो में कुछ गड्ढों की परेशानी में कुछ बादल की मनमानी में #Poetry

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